शोर-शराबे को भूलकर ,
अपने को...
तक़दीर के भरोसे छोड़कर,
क्या...
तुमने पाया ?
क्या...
हमने खोया ?
ज़मीन पर लक्ष्मण रेखा खींचकर ,
दुनिया को टुकड़ों में बांटकर ...
क्या...
तुमने पाया ?
क्या...
हमने खोया ?
इन्द्रधनुष को सात रंगों,
किसने बांटा ?
काले-सफ़ेद को दुनिया में,
क्यों पाटा ?
ये तेरा ,ये मेरा...
किसने बुना ये ताना-बाना..............................
वेदांश.....
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