कितने ?आगे निकल आये हम ,
रिश्तों को छोड़ , दोस्ती भूल ,
और कुछ वफ़ाओं को तोड़...
कुछ कर गुज़रने की चाह में ,
क्या ? पीछे छोड़ आये हम...
कितने ? आगे निकल आये हम ...
बची यादों को समेटने का ,
वक़्त भी तो न निकाल पाए हम ,
आंसू सूखे आँखों के ,लफ्ज़ भी
ज़बान में सिमट गए ...
काजल की कोठरी से भी ,
कोरे ही निकाल आए हम ...
वक़्त को कहाँ ? पीछे छोड़ आये हम ........
वेदांश....
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