चीखो और चिल्लाओ ,
दिल के दरवाज़ों को खोल दो,
दिमाग को ख़ाली करो,
इसकी दीवारों पर करो आज,
चित्रकारी .........
ग़मों की कूची को,
खुशियों के रंग में,
डुबोकर .........
आज बनाओ कुछ ऐसा....
कोई न बना सके,
फिर कुछ वैसा......
वेदांश........
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